Brew.. Milk.. Water.. froth.. Sip..
'aargh no sugar..'
आज सुबह सुबह ऑफिस की काफ्फी मशीन पे अहसास हुआ की जिंदगी में चीनी की क्या अहमियत है | चीनी न हो तो कुछ अच्चा ही नहीं लगता ,और हो तो जिंदगी के सबसे कडवे लम्हे भी मिठास से भर जते हैं| ऐसे ही कुछ लम्हों क बारे में सोच रहा था आज | वैसे बहुत अच्छी जगह है अमेरिका ,खूबसूरत , हराभरा , एकदम फिल्मों टाइप |यहाँ की बंदियों पे तो मैं फ़िदा हो गया भाई , सबकी सब एकदम गुडिया जैसी सफ़ेद , गुलाबी होठ , और एकदम मीठी आवाज. | मैं जहाँ रहता हूँ वो जगह तो पता नहीं किन लोगों ने बनायीं ऐसा गजब architecture , नयी पुराणी हर तरह की ईमारत | यहाँ अपरिचित लोग भी अगर कभी सड़क पे मिल जाएँ तो दुआ सलाम करते हैं , हालाँकि आपसे ट्रेन या बस वगेरह पे लोग बातचीत करते नहीं नजर आयेगे | यहाँ आकर मैंने पहली बार zebracrossing का इस्तेमाल होते देखा , और वो भी बड़े अच्छे से | वैसे खाने को लेकर मेरी मिटटी पलीद हुई है, खाने में मिर्च मसाला तो होता ही नहीं ,गरम गरम समोसा खाने का बड़ा मन करता है मगर यहाँ तो रेस्तरां में भी कम वसा वाला खाना चलता है :( ,कोई न , चलता है | अब एक जगह पर सब कुछ तो नहीं मिल सकता | बाकि खाने में सत्तू जिंदाबाद है |बाकि काम शुरू हो गया है , अच्छा है , बाकि देखिये आगे क्या होता है| और हाँ जिंदगी में चीनी बहुत संभाल कर रखिये , नहीं है जुगाड़ लीजिये , हाथ पे हाथ धरे बैठे रहिएगा तो मेरी तरह हाथ मलते रह जाईएगा और किसी दिन ब्लॉगर पे मैं आपका ब्लॉग पढ़ रहा होऊंगा :P